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India और china सीमा विवाद के बाद क्या IPL से विवो का रिश्ता टूट जाएगा

India और china पर हो रहे सीमा विवाद के बाद यह विवाद अब भारतीय खेलों तक भी पहुंचने लगा है यह विवाद की वजह से India में कई जगह chineses सामान के बहिष्कार की अपील भी की जा रहे हैं अब इस अपील में कुछ लोग तो यह भी मांग कर रहे हैं कि दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई भी china कंपनियों के साथ हुई अपनी करार को तोड़ दे दुनिया का सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट आईपीएल का टाइटल जिसका स्पॉन्सर विवो ही है और यह एक चीन की कंपनी हैऔर china कंपनियों के साथ अनुबंध तोड़ना क्या इतना आसान है माना जाए तो भी वह के साथ बीसीसीआई का अनुबंध 5 साल तक का है और यह करार 2022 में समाप्त होने को है और बीसीसीआई को विवो मोबाइल कंपनी की ओर से सालाना लगभग 440 करोड रुपए मिलते हैं जैसे कि IPL 2020 का आयोजन 29 मार्च को ही होना था पर जो कि कोविड-19 की वजह से नहीं हो रहा

इसके पहले 2008 से 2012 तक आईपीएल का स्पॉन्सर डीएलएफ था डीएलएफ बीसीसीआई को सालाना ₹400000000 देता था उसके पहले 2013 से 2015 तक आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर पेप्सी था और पेप्सी से बीसीसीआई को चलाना 79.2 करोड़ रुपए ही मिलते थे

इसके बाद बीसीसीआई से मोबाइल कंपनी भी वह जोड़ी और 2016 और 17 में विवो ने आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सर के रूप में सालाना 100 करोड रुपए दिए इसके बाद साल 2018 से 2022 तक टाइटल स्पॉन्सर की जो रकम है वह चलाना 439.8 करोड़ रुपए पहुंच गई और आईपीएल दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा और आईपीएल दुनिया का सबसे बड़ा टूर्नामेंट भी इसी वजह से बना आईपीएल में देसी विदेशी खिलाड़ी शामिल होते हैं और जिन की नीलामी बेहद महंगे दामों में होती है

आईपीएल में होने वाले प्रायोजन में खिलाड़ियों और अंपायरों को जर्सी से लेकर पानी जूस शीतल पर टेलीविजन प्रसारण टोपी स्टेडियम में दर्शकों की सीटें वाहन खिलाड़ियों को होटल से लेकर खानपान तक की हर चीजें पर आयोजित की जाती ।

IPL

भारत में तो कबड्डी कुश्ती मुक्केबाजी और बैडमिंटन की भी लीक होती है पर किसी टूर्नामेंट में चीनी कंपनियां अधिक उत्साह भी नहीं दिखाती पर अगर दिखाती भी है तो क्रिकेट मुकाबले के अलावा के मुकाबले ऊंट के मुंह में जीरे जैसा है दूसरे खेलों के लिए जहां पर आयोजकों और दर्शकों के लिए तरसती हुई नजर आती है वही आईपीएल के लिए दर्शक और प्रायोजक लाइन लगाकर खड़े हुए दिखते मिलते हैं चीन की कई कंपनियां भारत में कामयाबी के साथ अपना व्यापार करती हुई नजर आई है और उन्होंने कई खिलाड़ियों के साथ भी अपना-अपना करार किया है ऐसे ही कुछ चीनी कंपनी शाओमी ने गोवा फुटबॉल क्लब के साथ 2018 से 19 में इंडियन फुटबॉल लीग में भी करार किया था यह कंपनी गोवा के टीम की प्रायोजक भी रहे थे

वहीं अगर देखा जाए तो भारतीय ओलंपिक संघ का भी एक चीनी कंपनी के साथ करार है लीनिंग टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारती दल के कीट की भी प्रायोजक है साल 2018 के मई महीने में लीनिंग के साथ भारतीय ओलंपिक संघ ने अपना अनुबंध किया था इस अनुबंध में इनिंग कंपनियां खिलाड़ियों को जूते और कपड़े प्रायोजित भी करेगी खबर तो यह भी आए थे कि इंडियन वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के सचिव सहदेव यादव ने बताया था कि जितने भी भारतीय खेल संघों को खेलों में इस्तेमाल होने वाले चीनी सामान और उपकरणों का विरोध करना चाहिए बाद में 20 सीसी में स्वीकार किया कि अब वेटलिफ्टिंग के किसी भी साई ट्रेनिंग सेंटर में चीनी उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा

सभी ट्रेनिंग सेंटर चीन के अलावा दूसरे देशों में बने वेटलिफ्टिंग उपकरण मंगाएगा
जब महासचिव अजय सिंघानिया से बैडमिंटन में चीनी उपकरण के इस्तेमाल और विरोध को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भारत में 80% से अधिक सामान जापानी कंपनी योनेक्स का इस्तेमाल होता है पर अगर कोई व्यक्तिगत एकेडमी में चीनी उपकरण का इस्तेमाल करेगा तो इसमें वह क्या कर सकते हैं भारत ले देकर क्रिकेट और आईपीएल तक आ जाती है तो बीसीसीआई ने स्पष्ट किया कि वह प्रायोजक नीति पर विचार करने को तो तैयार है लेकिन वह अपना रिश्ता विवो के साथ फिलहाल नहीं तोड़ रहे

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बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने बताया कि विवो के साथ करार समाप्त करने के लिए बोर्ड ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है जब उनसे अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहे तो उन्होंने कहा कि वह ट्विटर पर अपनी बात कह चुके हैं और मामला अब बीसीसीआई की जगह आईपीएल की गवर्निंग काउंसलिंग देखेगी और फैसला सरकार करेगी अरुण धूमल ने कहा कि चीन से सामान नहीं बल्कि पैसा आ रहा है और अगर भी वह से अनुबंध टूटता है तो इससे चीन को ही फायदा होगा भारत को नहीं और अगर अनुबंध बीसीसीआई या सरकार ने तोड़ा तो चीनी कंपनियां कानूनी कार्रवाई के तहत हर्जाना भी वसूल कर सकती है

जवाब मैं अरुण धूमल ने कहा कि आईपीएल के गवर्नर काउंसलिंग के पास इस अनुबंध के शर्तों की जानकारी है और वह इस पर विचार भी कर रही है पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता
इंडियन क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पूर्व क्रिकेटर और चयनकर्ता रह चुके अशोक मल्होत्रा इस मुद्दे को लेकर कहते हैं कि अगर भी वह से करा टूटा गया तो इससे आईपीएल से अधिक नुकसान बीसीसीआई को ही होगा 440 करोड़ रुपए का सालाना नुकसान बहुत बड़ा है ऐसा बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष कह चुके हैं
सबसे दिलचस्प यह बात होगा कि सरकार और बिजी से इस पर क्या निर्णय लेते हैं देखा जाए तो भी वह के साथ अभी भी 3 साल का अनुबंध है और अगर यह अनुबंध टूटता है तो यह सीधे 1320 करोड़ रुपए का नुकसान बीसीसीआई को आईपीएल से होगा

अशोक मल्होत्रा ने बताया कि कोविड-19 की वजह से जो हालत बनी हुई है उससे पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत की भी वित्तीय हालत गंभीर बनी हुई है ऐसे में नया प्रायोजक आपकी आईपीएल को मिलेगा कि नहीं यह देखना कठिन है सोशल मीडिया पर जिस तरह से चीनी उत्पादों का बहिष्कार दिख रहा है उस पर विशेषज्ञ कोषाध्यक्ष का कहना है कि ठीक है हम पैसा बाहर ला रहे हैं बाहर नहीं भेज रहे हैं

अशोक मल्होत्रा ने 1993 में विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्यों को याद करते हुए कहा कि उन्हें एक ₹100000 देने के लिए बीसीसीआई ने लता मंगेशकर से मुफ्त में एक कार्यक्रम कराया था वह कहते हैं कि जब 1993 से 2003 तक वह बीसीसीआई के चयन करते हैं तो उन्हें डीए मिलता था और होटल में रुकने के पैसे उन्हें अपनी जेब से देने पड़ते थे और आज बीसीसीआई पैसे के दम पर ही अपनी पकड़ मजबूत कर रखा है जब कोई अच्छा करती है तो उसका लाभ सभी को मिलता है नहीं तो नुकसान भी सभी का होगा अगर यह अनुबंध टूटता है तो पेंशन और अनुबंध के अलावा लाभ में भी कटौती होगी

चीनी कंपनियों का विकल्प क्या है
इसके जवाब में अशोक मल्होत्रा ने बताया कि यह इतना आसान भी नहीं होगा टाटा अडानी रिलायंस है पहले सहारा एक बहुत बड़ा प्रायोजक था जिसने हॉकी और बैडमिंटन को भी क्रिकेट के साथ बढ़ावा दिया था अशोक मल्होत्रा ने बताया कि माल बीसीसीआई के पास है लेकिन अभी तो फिलहाल सरकार का रुख देखना होगा और बीसीसीआई सरकार के बिना कुछ कर भी नहीं सकती
पूर्व क्रिकेटर और चयनकर्ता रहे मदनलाल कहते हैं कि ऐसे फैसले अंतरराष्ट्रीय जगत में एकदम नहीं लिए जाते हैं इसीलिए सभी को अपना संयम रखना होगा सरकार भी चीन के साथ अपनी संबंध सामान्य बनाने में लगी हुई है

विवो अपने हाथ की चाहिए या फिर सरकार और बीसीसीआई तो आगे क्या
मदनलाल इस बात को लेकर कहते हैं कि जब भी वह कोई अनुबंध मिला था तब दूसरे तीसरे नंबर पर कई और कंपनियां भी हैं पर यह बात बहुत अलग है कि मंदी के दौर में उतना पैसा ना मिले जितना मिले हैं

मैंने इसी बीच कहते हैं कि यह मामला काफी तकलीफदेह होता जा रहा है चीन को लेकर भारत में इन दिनों भावनाएं उफान पर हैं पर आईपीएल की जो टाइटल स्पॉन्सर की राशि है वह इतनी बड़ी है कि उसे नकारा भी नहीं जा सकता चाहे वह आईपीएल हो या फिर कोई और टूर्नामेंट चीनी कंपनियां का दखल बहुत ज्यादा है पर अभी देखा जाए तो बीसीसीआई में तो रुख भी दिखाई दे रहे हैं

पहले तो यह है कि सरकार अगर कहती है तो बीसीसीआई के पास अनुमन्य तोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है और दूसरी एक ही झटके में बीसीसीआई अनुबंध पूरी तरह से नहीं तोड़ सकती क्योंकि इससे आर्थिक स्थिति पर असर पड़ेगा वही आयाज मेनन कानूनी पक्षों को लेकर या कहते हैं कि अनुबंध की शर्तों में तो यह लिखा है कि इसकी जिम्मेदारी बीसीसीआई से ज्यादा सरकार की भी है आज मैंने इसके आगे कहते हैं कि सरकार की तरफ से तो अभी तक ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है कि चीनी सामान का बहिष्कार किया जाए हां मगर कुछ राज्यों में कुछ चीनी अनुबंध समाप्त किए गए हैं पर जैसे कि खेल मैं भी बैडमिंटन में शटल रॉक राकेट जैसे कुछ चीजों में चीनी पैसा बहुत लगा हुआ है पर इसे तब तक नहीं हटा सकते जब तक सरकार स्पष्ट या बिल्कुल सीधे दिशानिर्देश नहीं मिल जाते हैं भारत में खेल के अलावा बहुत सारी जगह पर चीनी पैसा लगा हुआ है पर ऐसी स्थिति में क्या करें क्या ना करें इसके लिए पूरी तरह सरकार पर निर्भर है

चीनी सामान और चीनी पर आयोजकों को पूरी तरह से बहिष्कार करना भारतीय खेल जगत कोई से कितना नुकसान होगा इस बात का अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है और अगर आईपीएल से टाइटल स्पॉन्सर के रूप में विवो अपना हाथ खींचता है तो बीसीसीआई को इस से सीधे-सीधे 1340 करो रुपए का नुकसान लग सकता है

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