लद्दाख में 8 हफ्ते से तनाव, क्या अजीत डोभाल के प्लान से पीछे जाएगी चीनी सेना ?
लद्दाख में पिछले 8 हफ्ते से भारी तनाव है चीन की घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार खड़ी है बॉर्डर पर दोबारा 15 जून जैसी हिंसा ना हो सके इसके लिए दोनों सेनाओं का पीछे हटना जरूरी है भारत फिलहाल बातचीत का रास्ता अपना रहा है अब जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को दी जाएगी।
हाइलाइट्स:
- लद्दाख बॉर्डर पर चीन पीछे हटने को नहीं है तैयार इस बात को 8 हफ्ते बीत चुके.
- इस मामले में अजीत डोभाल को मिल सकती है बातचीत से मसले को हल करने की जिम्मेदारी.
- अपने समकक्ष स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव तंत्र से मुद्दा सुलझाने में सक्षम है अजीत डोभाल.
- लद्दाख मसले पर डोभाल एक्टिव है और उनकी नजर चीन की हर हरकत पर

लद्दाख में भारत और चीन के बीच विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है । भारत सरकार अब चीन को उसकी हरकतों से बाज ना आता देखकर अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है। अब यह देखने की बात है कि पाकिस्तान को अपने प्लानो से कई बार पटख़नी देने वाले अजीत डोभाल अब ड्रैगन को कैसे सबक सिखाएंगे।
मिली जानकारी के मुताबिक सरकार स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव तंत्र से बॉर्डर मुद्दा सुलझाने पर विचार विमर्श कर रही है।इसमें अजीत डोभाल और चीन में उनके समकक्ष वांग यी के बीच बातचीत होगी। वांग इस वक्त चीन के विदेश मंत्री हैं और साथ ही व स्टेट काउंसलर भी हैं। आपको बता दें की स्टेट काउंसलर की पावर विदेश मंत्री से ज्यादा होती है । सरकार मानती है कि इससे चीन को पीछे हटाया जा सकता है।
लद्दाख मामले पर डोभाल पहले से एक्टिव
लद्दाख संकट पर पहले से एक्टिव है डोभाल और चीन की हर एक हरकत पर उनकी नजर टिकी हुई है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो अचानक लद्दाख जाने की तैयारी हुई थी वह भी अजीत डोभाल के प्लान का ही एक हिस्सा था। अजीत डोभाल के प्लान की वजह से ही किसी को भी इसकी भनक तक नहीं थी। दूसरी तरफ चीनी सेना द्वारा की गई घुसपैठ की कोशिशों के बाद जिस तरह भारत ने आक्रमक तरीके से उसका जवाब दिया है उसे भी डोभाल की रणनीति का ही हिस्सा बताया जा रहा है।
दूसरी तरफ दोनों बॉर्डर पर सैन्य स्तर के बीच बातचीत जारी। भारत इस बातचीत को ऊंचे स्तर तक उठाना चाहता है । दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच भी बातचीत चल रही है । चीन में वर्ष 2017 तक स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री के पद पर अलग-अलग लोग होते थे । 2017 में जब डोकलाम विवाद हुआ था तो स्टेट काउंसलर पद पर यांग जियेची थे। चीन ने उन्हें स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव बनाया था।