गोनू झा की कहानियाँ

गोनू झा का जन्म दरभंगा जिला के अन्तर्गत ‘भरौरा” गाँव में लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व एक गरीब किसान परिवार में ऐसे समय हुआ था जब धर्मांधता और रूढ़िवादिता का बोलबाला था। बड़े जमींदार राजा कहलाते थे। दरबारियों के हाथ में शासन से प्रजा त्रस्त थी। चापलूस दरबारियों के चंगुल से प्रजा को बचाने में जहाँ गोनू झा का महत्त्वपूर्ण योगदान था, वहीं उन्होंने साधुओं के वेश में ढोंगियों से भी लोहा लिया। बिहार में गोनू झा की रोचक कथाएँ जन-जन की जुबान पर उसी प्रकार विद्यमान हैं, जिस प्रकार मिथिला-कोकिल विद्यापति के सुमधुर गीत सभी के कंठहार बने हुए हैं। गोनू झा की कथाएँ लोगों में ऐसी रच-बस गई हैं कि लोकोक्तियों का रूप धारण कर चुकी हैं। यहाँ गोनू झा की सभी तरह की कहानियां का बड़ा संग्रह है, एक बार जरूर पढ़े।

  1. बैल का http://thepapers.co.in/%e0%a4%ac%e0%a5%88%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%98%e0%a5%80/घी

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