गोनू झा का श्राद्ध

राजा शिव सिंह गोनू झा से बराबर कहा करते थे की आपके मरने पर आपके श्राद्ध में आपके पुत्र को काफी सहायता करूँगा। एक दिन गोनू झा ने इस बात की परीक्षा लेने का विचार किया। उन्होंने अपने पुत्र को उतरी पहना कर रजा के दरबार में सहायता के लिए भेजा और खुद दो चार दिन के लिए घर में चिप गए। गोनू झा ने अपने पुत्र से कहा की दरबार में जाकर राजा से कहना की हमारे पिताजी स्वर्गवासी हो गए। इसलिए अपने कथनानुसार मुझे उनके श्राद्ध के लिए सहायता करे।

राजा गोनू झा की मृत्यु का समाचार सुनकर बहुत उदास हुए और तुरंत गोनू झा के पुत्र को दस हजार रूपये देने की आज्ञा दी। हुक्मनामा का पत्र लेकर गोनू झा का पुत्र बाज़िर , दीवान और खजांची के पास गया। रुपया तुरंत निकासी के लिए सभी ने एक -एक हज़ार रूपये घुश मांगी।

बाकि सात हज़ार लेकर गोनू झा का पुत्र अपने पिता के पास आया। दूसरे दिन गोनू झा प्रातःकाल स्नान पूजा से निवृत होकर राजा के दरबार में आये।

सभी गोनू झा को देखकर आश्चर्यचकित हो गए राजा ने गोनू झा से कहा की आपके पुत्र द्वारा मालूम हुआ की आप मर गए। गोनू झा ने हँसते हुए जवाब दिया -जी मई एक बार मरने से सबको पहचान गया। गोनू झा ने रिश्वत का समाचार राजा को सुनाया।

यह सुनकर राजा ने दोनों कर्मचारियों को जुर्माना भड़वाया और फिर से ऐसा न करने की चेतावनी दी।

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